Back to Search
Start Over
मानव जीवन के कल्याण हेतु यज्ञ - वैदिक वांग्मय के सन्दर्भ में
- Source :
- Interdisciplinary Journal of Yagya Research, Vol 5, Iss 2 (2022)
- Publication Year :
- 2022
- Publisher :
- The Registrar, Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, 2022.
-
Abstract
- भारतीय परंपराओं के प्रचलन में तत्वदर्शी ऋषियो ने यज्ञ को भारतीय धर्म का पिता कहा गया है जिसमें मनुष्य जीवन का भी समग्र दर्शन समाहित है। मानव जीवन में यज्ञ की अनिवार्यता वैदिक वांग्मय का निर्देश है। मनुष्य जीवन के विविध आयाम में यज्ञ लाभ को वैदिक वांग्मय के सन्दर्भ में समझना प्रस्तुत अध्ययन का मूल उद्देश्य है। यज्ञ जीवन ही कल्याण कारक है। यह सृष्टि यज्ञ के सिद्धांतो पर चलती है। मनुष्य जीवन इसे सृष्टि है और सृष्टि की उन्नति ही मनुष्य जीवन की उन्नति है। यज्ञमय जीवन जीने वाले से सत्प्रवृत्तियाँ का संवर्धन होता रहता है और इससे देव शक्तिया संतुष्ट रहती है और उसकी सकल कामनाएं पूर्ण होती है अर्थात वह आप्तकाम होता है। जिससे मनुष्य का सांसारिक जीवन मंगलमय बनता है। यज्ञमय जीवन से मनुष्य जीवन जो त्रिविध ताप आध्यात्मिक, आधिदैविक (व्यक्तित्व एवं प्रतिभा) एवं आधिभौतिक (सांसारिक समृद्धि) से मुक्ति अर्थात लाभ प्रदान करता है, जिससे मनुष्य जीवन सफल और कल्याणकारी बनता है। जब तक घर-घर में यज्ञ की प्रतिष्ठा थी, तब तक भारत भूमि स्वर्ग-सम्पदाओं की स्वामिनी थी। आज यज्ञ एवं यज्ञमय जीवन को त्यागने से ही मनुष्य जीवन की दुर्गति हो रही है।
Details
- Language :
- English, Hindi
- ISSN :
- 25814885
- Volume :
- 5
- Issue :
- 2
- Database :
- Directory of Open Access Journals
- Journal :
- Interdisciplinary Journal of Yagya Research
- Publication Type :
- Academic Journal
- Accession number :
- edsdoj.16cd2ec2ff5e4cd688cc7d0ea0d34ce5
- Document Type :
- article
- Full Text :
- https://doi.org/10.36018/ijyr.v5i2.92